पटना। बिहार में भाजपा अपने दम पर खड़े होने की कोशिश में जुटी हुई है। इसी कड़ी में भापजा राज्य के कई छोटे-छोटे दलों को साधने की कोशिश भी कर रही है। बिहार में अपने जातीय समीकरण को मजबूत करने के लिए भाजपा उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, चिराग पासवान और आरसीपी सिंह जैसे नेताओं अपने पाले में करना चाहती है।
इसका अंदाजा इसबात से लग सकता है कि इन नेताओं की सुरक्षा में हाल के दिनों में इजाफा हुआ है। जदयू से बगावत करने के बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी बना ली। माना जा रहा है कि वह 2021 की ही तरह 2024 में भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
अब कुशवाहा को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। चिराग पासवान और मुकेश सहनी को यह सुविधा पहले से ही मिली हुई है। बिहार में यह तीनों जिस जाति से आते हैं, उनका वोट लगभग 27 प्रतिशत है। इस कारण है कि भाजपा इन्हें अपने साथ रखना चाहती है। कुशवाहा की कोइरी-कुर्मी जाति पर अच्छी पकड़ है। बिहार में यह लगभग 11 फीसदी है। चिराग की पार्टी का वोट 7 से 8 प्रतिशत हैं। उनके साथ दलित वोट भी है। वहीं, मुकेश साहनी 6-7 फीसदी वोट पर पकड़ रखते हैं।
लोकसभा चुनाव के लिहाज से बिहार बेहद महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। बिहार में जबसे नीतीश भाजपा से अलग हुए हैं, तब से पार्टी कहीं ना कहीं 2024 के लिहाज से अलग रणनीति जरूर बना रही है। एक ओर जहां भाजपा के जबरदस्त तरीके से नीतीश पर हमलावर है, तब वहीं दूसरी ओर अंदर खाने में बातचीत भी जारी है। ऐसा सूत्रों का दावा है। भाजपा के साथ फिर से गठबंधन नहीं करने का वादा करने वाले सुशासन बाबू भी आज कल भगवा पार्टी को लेकर नरम रुख दिखा रहे हैं।