नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के 9 अलग – अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज चौथा दिन है
लेख- उमाशंकर अवस्थी–
आज शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही इस संसार ने सांस लेना शुरु किया, यानी इनसे ही सृष्टि का आरंभ हुआ है। जब सृष्टि में चारों तरफ अंधकार फैला हुआ था। तब देवी कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से अंधकार का नाश करके सृष्टि में प्रकाश किया था। मां कूष्मांडा का वास ब्रह्माण के मध्य में माना जाता है और वह पूरे ब्रह्मा की रक्षा करती हैं नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के 9 अलग – अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश में भी बड़े धूमधाम से नवरात्रि मनाई जाती है। यहां कुछ प्राचीन मंदिर भी हैं जहां दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
कुल कितनी है शक्तिपीठों की संख्या?
दरअसल, देवी के 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं। भागवत पुराण के अनुसार मां शक्ति के 108 शक्तिपीठ हैं, तो काली पुराण में 26 शक्तिपीठ बताए गए हैं, शिवचरित्र में 51 तो दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई हैं। उनमें से तीन शक्तिपीठ मध्य प्रदेश में भी हैं, जहां देवी मां के अंग गिरे थे। हालांकि कुछ लोग एमपी में 04 शक्तिपीठ होने का दावा करते हैं। इन दिनों इन तीनों शक्तिपीठों में देवी मां के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है
आइए आपको बताते हैं मध्य प्रदेश में कहां हैं देवी के शक्तिपीठ…
मैहर शक्तिपीठ – मैहर
विंध्य पर्वत शृंखला के त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा देवी का मदिर है। जो कि मैहर जिले में स्थित है। 52 शक्तिपीठों में से एक इस स्थान पर माता सती का हार गिरा था। यही कारण है कि स्थान का नाम माई का हार से मैहर पड़ गया। कहा जाता है कि मां शारदा के परम भक्त आल्हा और उनके भाई ऊदल ने इस मंदिर की खोज की थी और वो दोनों आज भी सुबह – सुबह सबसे पहले मंदिर में देवी मां की पूजा करते हैं। मां शारदा की प्रतिमा के नीचे एक शिलालेख है, इसकी लिपि को आजतक पढ़ा नहीं जा सका है, यह अपने अंदर अनके रहस्य समेटे हुए है।
शोंदेश शक्तिपीठ – अमरकंटक
मध्य प्रदेश में स्थित शक्ति पीठों में से एक नाम शोंदेश शक्ति पीठ सोनाक्षी शक्ति पीठ का भी है। जो कि अमरकंटक में स्थित है। यहां स्थित मंदिर में देवी मां के दर्शन के लिए करीब 100 सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है। नवरात्रि के दिनों में यहां दूर – दूर से लोग दर्शन करने आते हैं।
हरसिद्धि शक्तिपीठ – उज्जैन
उज्जैन में माता शक्ति का करीब 2 हजार साल पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि यहां देवी मां कि दाहिने हाथ की कोहनी कटकर गिरी थी। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विष्णु ने कराया था। यहां बलि प्रथा नहीं मनाई जाती। हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर महाकाल मंदिर के पास ही स्थित हैं। ऐसे में जब भी उज्जैन दर्शन के लिए जाएं तो हरसिद्धि मंदिर जरूर जाएं कुछ लोग मध्य प्रदेश का चौथा शक्तिपीठ भैरव पर्वत शक्तिपीठ मानते हैं। जिसका मंदिर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे भैरव पहाड़ियों पर बना है