किसी के अहित के लिये किया गया कार्य कभी सफल नहीं हो सकता -चिन्मयानंद बापू

किसी के अहित के लिये किया गया कार्य कभी सफल नहीं हो सकता -चिन्मयानंद बापू

भिण्ड -लहार नगर के उपाध्याय गार्डन में अम्बरीष शर्मा गुड्डू भैया द्वारा आयोजित कथा में पूज्य महाराज ने कहा कि जीवन में कुछ प्राप्त करना है तो भगवान की भक्ति प्राप्त करो क्योंकि यही एक चीज है जो लोक और परलोक दोनों सुधार देगी हमेशा दूसरों के हित के लिये कार्य करो क्योंकि दूसरों का अहित करने के लिये किया गया कार्य कभी सफल नहीं होता, उक्त वचन लहार के उपाध्याय गार्डन में अम्बरीष शर्मा गुड्डू भैया द्वारा आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पूज्य महाराज चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जब किसी व्यक्ति के स्वभाव में घमंड आ जाता है तो उसके अच्छे काम भी बिगड़ जाते हैं,अहंकार की वजह से व्यक्ति को सही-गलत का ध्यान नहीं रहता है और वह कुछ ऐसा कर देता है,जिससे बने-बनाए काम भी असफल हो जाते हैं।प्रजापति दक्ष का सभी देवताओं और बड़े-बड़े ऋषि- मुनि भी सम्मान करते थे।एक दिन एक यज्ञ हो रहा था। यज्ञ में सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि बैठे हुए थे।उस समय प्रजापति दक्ष यज्ञ स्थल पर पहुंचे तो वहां बैठे सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हो गए, लेकिन शिव जी बैठे हुए थे। शिव जी दक्ष पुत्री सती के पति थे, इस रिश्ते से दक्ष शिव जी के ससुर थे, दक्ष अहंकारी था,उसने सभी को अपने सम्मान में खड़े देखा तो वह बहुत खुश हुआ लेकिन जैसे ही उसकी नजर शिव जी पर पड़ी तो वह क्रोधित हो गया,शिव जी आंखें बंद करके ध्यान में बैठे हुए थे।दक्ष के सम्मान में शिव जी नहीं उठे तो दक्ष ने सोचा कि ये मेरे दामाद हैं, मेरी संतान की तरह हैं। इस रिश्ते से इन्हें मेरे सम्मान में उठना था। इतना सोचने के बाद अहंकार दक्ष ने शिव जी का अपमान करना शुरू कर दिया, शिव जी शांत थे और दक्ष की बातें सुन रहे थे, लेकिन उस समय वहां मौजूद नंदीश्वर शिव जी का अपमान सहन नहीं कर पाए और उन्होंने दक्ष को शाप दे दिया।नंदीश्वर के शाप से भृगु ऋषि गुस्सा हो गए,उन्होंने नंदी को शाप दे दिया,कुछ ही देर में पूरा यज्ञ बिगड़ गया।इस घटना से संदेश मिलता है कि घमंड को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए। जो लोग घमंड करते हैं, उन्हें कहीं भी मान-सम्मान नहीं मिलता है आज भागवत में सम्मिलित होने बालों में आशुतोष तिवारी,सुरेन्द्र भारद्वाज सराबन,आनन्द महाते जी,अशोक पान्डे जी जालोन श्री पिन्ट दिवोलिया जी, जयशंकर (लल्लू) जी, सुरेन्द्र पाठक, श्रीमती रुकमिनि शर्मा विवाद कलपना भारदाज  ,श्रीनाराया शर्मा जी ग्वालियर,शिवनारायण दुबे बल्लू वकील,केशवदास गुप्ता दबोह,विष्णुदयाल विलेया दबोह,लल्लूराम गुबरेले दबोह,राकेश कोठारी दबोह,पी.एन.मेहटा एड,बृजनारायण तिवारी,चन्द्रशेखर उपाध्याय,रमाकांत उपाध्याय,गिरजाशंकर परिहार, पहलवान उपाध्याय दाऊ,महेश महाते,देवेंद्र जी नरवरिया,राव सहाव,रमाकांत पटसरिया आदि लोग प्रमुख रूप से मौजूद रहे

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